
अमित दुबे की रिपोर्ट:-
रतनपुर। शारदीय नवरात्रि की महानवमी तिथि पर विश्व प्रसिद्ध महामाया मंदिर, रतनपुर में माँ महामाया का अलौकिक एवं राजसी श्रृंगार देखने हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इस विशेष अवसर पर माता रानी को सवा तीन किलो सोने के आभूषणों से सुसज्जित किया गया। देवी के स्वर्णाभूषणों से अलंकृत दर्शन ने भक्तों को अद्भुत और दिव्य अनुभव प्रदान किया।
तीन अवसरों पर होता है स्वर्ण श्रृंगार
मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष आशीष सिंह ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि महामाया देवी का यह विशेष श्रृंगार वर्ष में केवल तीन बार किया जाता है— चैत्र और शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि पर तथा दीपावली पर्व के दिन। इन अवसरों पर देवी का स्वर्ण मुकुट, कंठाहार, मुक्ताहार, रानीहार, कुंडल, करधन और लगभग सवा दो किलो वजनी स्वर्ण छत्र सहित कुल सवा तीन किलो सोने के आभूषणों से दिव्य श्रृंगार किया जाता है।
भक्तों के लिए अद्भुत दृश्य
नवरात्र की महानवमी पर जब मंदिर के गर्भगृह में माँ महामाया का स्वर्णाभूषणों से अलंकृत रूप प्रकट हुआ, तो भक्तों ने ‘जय माता दी’ के गगनभेदी जयघोष के साथ दरबार में हाजिरी दी। पूरा मंदिर परिसर घंटियों और शंखध्वनि से गूंज उठा। श्रद्धालुओं का कहना था कि माता का यह दिव्य स्वरूप जीवनभर अविस्मरणीय रहेगा।
आस्था और भक्ति का संगम
भक्तों ने दर्शन के दौरान माता रानी के चरणों में प्रसाद, चुनरी और नारियल अर्पित किए। मंदिर परिसर में विशेष सजावट और रोशनी की गई, जिससे पूरा वातावरण भक्ति और आस्था से सराबोर रहा।
धार्मिक नगरी की गरिमा में चार चाँद
महानवमी पर हुआ यह स्वर्ण श्रृंगार न केवल भक्तों के लिए अलौकिक अनुभव रहा, बल्कि रतनपुर जैसी धार्मिक नगरी की गरिमा को भी और अधिक भव्यता प्रदान कर गया। दूर-दराज़ से आए श्रद्धालुओं ने इस दिव्य श्रृंगार का लाभ उठाया और माता महामाया के चरणों में अपने जीवन की मंगलकामनाएँ समर्पित कीं।
महामाया का यह स्वर्ण श्रृंगार श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का प्रतीक है, जो हर वर्ष हजारों भक्तों को रतनपुर खींच लाता है।